बचपन की तो है बात निराली,
न कोई चिंता और न कोई ज़िम्मेदारी,
हर पल बितता है बेफ़िक्री के साथ,
जीवन में महकती रहती हरवक्त रात रानी
बाल दिवस की शुभकामनाएँ
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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