खंडित होते भारत को किया एक साथ,
वो सरदार था,कमाल,धमाल,बेमिसाल
कवि मनीष
****************************************
जो कह दिया बस बन गया वही विधान,
थी अटल चट्टान इंदिरा की ज़ुबान
कवि मनीष
****************************************
गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा,
ओ माता,ओ जगत् माता,ओ जगदम्बा,
तू है माता और मैं हूँ लाल तेरा,
गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा,
है जैसे चमकता सूरज गगन में,
है जैसे चमकता चाँद गगन में,
है वैसा तेरा रूप,
कभी धूप तो कभी शीतल,
है ऐसा तेरा रूप,
ऐ आदि शक्ति, ऐ जगत् माता,
धरती में है बसता जीवन बनके आशीष तेरा,
गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा,
ओ माता,ओ जगत् माता,ओ जगदम्बा,
तू है माता और मैं हूँ लाल तेरा,
गली-गली में सुनता हूँ नाम तेरा
कवि मनीष
कृपया भक्ति गीत लेखनीं के लिए संपर्क करें ।
८२२६८७४५१८
(8226874518)
कवि मनीष
****************************************
जीवन है बसा माता के आँखों में,
प्रेम है छलकता माता के आँखों से,
जब उठातीं हैं कृपाण माता,
है निकलता प्राण पापियों के वक्षों से
है बड़ी अलबेली,अद्भुत ये माता,
है हर रूप इसका सबको भाता,
प्रेम से जो हैं लगाते इसका जयकारा,
है भर जाता झोलियों में उनके चाँद-सितारा,
करती है मुराद पूरी ये अपनें हाथों से,
जीवन है बसता माता के आँखों में,
प्रेम है छलकता माता के आँखों से,
जब उठातीं हैं कृपाण माता,
है निकलता प्राण पापियों के वक्षों से
कवि मनीष
****************************************
जाये के दुखवा सहे के परे हीं,
माई तोहरा के बिदा करके परे हीं,
अगिले बरस मईया फिर तोहके बुलाईम,
अभी त बिदा तोहके करे के परे हीं,
जईसे सूरूज बाटे गगनवा में माई,
अईसे तोहार बाट जोहे के परे हीं,
तोहार जुदाई माई हमार दिल के बर सताई,
पर तोहके माई बिदा करे के परे हीं,
जाये के दुखवा सहे के परे हीं,
माई तोहरा के बिदा करके परे हीं,
अगिले बरस मईया फिर तोहके बुलाईम,
अभी त बिदा तोहके करे के परे हीं
कवि मनीष
****************************************
चलो माता के द्वार भक्तों,
चलो माता के द्वार भक्तों,
माता करेंगी उद्धार भक्तों,
चलो माता के द्वार भक्तों,
चलो माता के द्वार,
माता के दर पे शीश नवाओ,
मन चाहे वर तुम पाओ,
हर घड़ी तुम अम्बे गुण गाओ,
अम्बे करेगी उद्धार भक्तों,
चलो माता के द्वार भक्तों,
चलो माता के द्वार भक्तों,
माता करेंगी उद्धार भक्तों,
चलो माता के द्वार भक्तों,
चलो माता के द्वार
कवि मनीष
****************************************
करते हैं हम,
तेरी आरती,
करते हैं हम,
तेरी आरती,
ओ मईया भवानीं,
ओ मईया भवानीं,
तुझसे डरते हैं सारे दुर्जन,
करते हैं हम तेरा पूजन,
ओ मईया भवानीं,
ओ मईया भवानीं,
करती अम्बे तू सिंह की सवारी,
तू तो है माता अति चमत्कारी,
ओ मईया भवानीं,
ओ मईया भवानीं,
करते हैं हम,
तेरी आरती,
करते हैं हम,
तेरी आरती,
ओ मईया भवानीं,
ओ मईया भवानीं
कवि मनीष
****************************************
हे अम्बे माँ,
तू है दुःखहरणी माँ
भुजाओं में तेरे है महाबल,
तू है महाशक्ति माँ,
हे अम्बे माँ,
तू है दुःखहरणी माँ,
है ठंडक तुझमें सुबह की,
है तेज़ तुझमें दिवा की,
तू है कष्टहरणी माँ,
तू है दुःखहरणी माँ,
है सृष्टि तुझमें समाई,
तू है सबकी देवी माँ,
हे अम्बे माँ,
तू है दुःखहरणी माँ,
भुजाओं में तेरे है महाबल,
तू है महाशक्ति माँ,
हे अम्बे माँ,
तू है दुःखहरणी माँ
कवि मनीष
****************************************
माता ओ शेरोवाली,
है सबसे तू निराली,
है तू फूलों सी कोमल,
और है तू अग्नि की भी डाली,
माता ओ शेरोवाली,
है सबसे तू निराली,
है धधक तुझमें क्रोध की भी,
है ठंडक तुझमें चाँद की भी,
है तू तो ममता की वाणी,
है तू तो सबसे निराली,
माता ओ शेरोवाली,
है सबसे तू निराली,
माता ओ शेरोवाली,
है सबसे तू निराली
आप सभी नवरात्रि की असीम शुभकामनाएँ
कवि मनीष
****************************************
है रात अंधेरी घनघोर तो क्या हुआ,
है कोई नहीं साथ तो क्या हुआ,
हम अपनें दम पर,
आसमान को झुका देंगे,
चमकते सूरज की रोशनीं को भी,
अपनीं चमक से फ़िका कर देंगे,
है पर्वतों सा अटल इरादा हमारा,
लहरें सर पटक कर अपनें घर को हीं जाएँगी,
है रात अभी हावि तो क्या हुआ,
सुबह को अपनीं दहलीज़ पर एक दिन ज़रूर लाएँगे,
है रात अंधेरी घनघोर तो क्या हुआ,
है कोई नहीं साथ तो क्या हुआ,
हम अपनें दम पर,
आसमान को झुका देंगे,
चमकते सूरज की रोशनीं को भी,
अपनीं चमक से फ़िका कर देंगे
कवि मनीष
****************************************
हर जीव में रहता है ईश्वर,
लेना किसी की जान सहता नहीं परमेश्वर,
अगर इंसान जीवों की जान यूँ ही लेता जाएगा,
तो एक ना एक दिन उसका फल उसे अवश्य मिलेगा,
आज जिन निरीह पशुओं की जान तुमनें ली है,
तो याद रख,
हर पापी को सज़ा मिलती हीं मिलती है,
तेरे पापों की सज़ा तुझको,
इंसां हीं देगा,
और परमेश्वर लाठी की मार तुझे तेरे वास्तविक अंजाम तक ले जाएगा,
गुनहगार टिकता नहीं लंबे समय तक धरती पर,
हर जीव में रहता है ईश्वर,
लेना किसी की जान सहता नहीं परमेश्वर,
अगर इंसान जीवों की जान यूँही लेता जाएगा,
तो एक ना एक दिन उसका फल उसे अवश्य मिलेगा
कवि मनीष
****************************************
ओ माँ शेरोवाली,
ओ माँ पहाड़ावाली,
हैं तेरे अनेकों रूप,
जगत् को सारे चलाती है तू,
तेरी चमक छाई है हरसू,
तू है सबसे निराली,
ओ माँ शेरोवाली,
ओ माँ पहाड़ावाली,
अपनीं कृपा सदा बरसाना माँ,
सबके कष्ट तू हरना माँ,
किसी को भी ख़ाली न लौटाना माँ,
जो हैं तेरे दर आते सवाली,
ओ माँ शेरोवाली,
ओ माँ पहाड़ावाली,
हैं तेरे अनेकों रूप,
जगत् को सारे चलाती है तू,
तेरी चमक छाई है हरसू,
तू है सबसे निराली,
ओ माँ शेरोवाली,
ओ माँ पहाड़ावाली
ओ माँ शेरोवाली,
ओ माँ पहाड़ावाली
कवि मनीष
****************************************
एक था गाँधी,
जैसे आँधी,
दुबला-पतला सा,
पर डरता न ज़रा भी,
मशाल जली क्रांति की,
पर किसी से जली न सदा जी,
केवल एक नें जलाई जो मशाल क्रांति की,
वो जलती रही सदा जी,
उस मशाल के दहक में,
जल गए सारे ज़ालिम जी,
कहनें वाले तो कहते हीं हैं रहते,
पर था जो दम उसकी लाठी में,
वो था कहाँ गोले,बारूद में जी,
क्रांति तो बहोतों नें की,
पर उनमें था कहाँ वो दम जी,
जो था उस फ़कीर में जी,
जिसके सोंच के आगे,
झुक गया वक्त भी,
एक था गाँधी,
जैसे आँधी,
दुबला-पतला सा,
पर डरता न ज़रा भी
महात्मा गाँधी जी के जयंती की अनंत शुभकामनाएँ
कवि मनीष
****************************************
छोटा सा था क़द,
और बुद्धि थी जैसे शमशीर,
हर अर्चन को जो देता था,
पल भर में चीड़,
था वो राष्ट्र की छतरी,
है कहता ज़माना जिसे लाल बहादुर शास्त्री,
था जो देश की ढ़ाल,
जवानों और कृषकों का दुलार,
हरता था जो पल भर में,
राष्ट्र की पीड़,
छोटा सा था क़द,
और बुद्धि थी जैसे शमशीर,
हर अर्चन को जो देता था,
पल भर में चीड़,
था जो देश का वसंत-बहार जी,
है कहता ज़माना जिसे लाल बहादुर शास्त्री,
था जो देश की छतरी,
है कहता ज़माना जिसे लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री जी के जयंती की अनंत शुभकामनाएँ
कवि मनीष
****************************************
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...