जो कभी ख़त्म न हो,
वो चमत्कार है तू,
जो कभी जाए न,
वो बहार है तू,
ऐ मेरे साईं,
आशाओं का संसार है तू,
जिसपे से न हो कभी,
ओझल चाँद,
वो रात है तू,
जो कभी न हो,
सूरज से रिक्त,
वो सुबह है तू,
ऐ मेरे साईं,
आशाओं का संसार है तू,
जो कभी ख़त्म न हो,
वो चमत्कार है तू,
जो कभी न जाए,
वो बहार है तू,
ऐ मेरे साईं,
आशाओं का संसार है तू
कवि मनीष
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