Tuesday, 8 September 2020

 सवेरे की लाली से खिल उठती है प्रकृति,

जैसे प्रकृति में नई जान है भर जाती,

सृष्टि के रचयिता की निराली है हर बात,

क्या अनोखी कारीगरी है परमपिता ब्रह्मा की


कवि मनीष 

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