थाम के इंसानियत की डोर,
चला जो सब कुछ अपना छोड़,
जैसे बादलों को चीड़ निकलतीं है किरणें,
वैसे निकला एक मानवता का सिरमौर,
कहती है दुनिया जिसको साईं,
कहती है दुनिया जिसको साईं बाबा,
है उसमें ताक़त फ़रिश्तों वाला,
करूणा से अपनीं बना वो,
सबका फ़रिश्ता और परमेश्वर निराला,
कहती है दुनिया उसको साईं,
कहती है दुनिया उसको साईं बाबा,
चलता जो सदा थाम मानवता की डोर,
उसे जाता नहीं वो कभी छोड़,
थाम के इंसानियत की डोर,
चला जो सब कुछ अपना छोड़,
जैसे बादलों को चीड़ निकलतीं है किरणें,
वैसे निकला एक मानवता का सिरमौर
कवि मनीष
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