आज के शिक्षक तो बस आवारगी में हैं रहते व्यस्त,
अच्छे विद्यार्थियों की करतें हैं जीवन पस्त,
पढ़ाना-लिखाना तो आता नहीं,
पढ़ानें को सिर्फ़ व्यापार बनाकर जेब भरना हीं है बस इनकी औक़ात
कवि मनीष
शिक्षक है वो जो विद्यार्थियों में देखे अपना भविष्य,
न की वसूले सिर्फ़ मोटी-मोटी फ़ीस
कवि मनीष
आज के शिक्षकों को पढ़ाना तो केवल धंधा है,
शिक्षक वो है जो निर्मल ज्ञान से विद्यार्थियों के चरित्र को गढ़ता है
शिक्षक दिवस की अनंत शुभकामनाएँ
कवि मनीष
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