Tuesday, 29 September 2020

 है वो धूप जिसमें गर्मीं नहीं,

है सिर्फ़ उजाला अन्धियारा नहीं,

कैसे न कहा जाए,

माँ-बाप हीं है परमेश्वर और कोई नहीं 


कवि मनीष 

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