Sunday, 27 September 2020

 आसान है नहीं,

ज़िन्दगी का रस्ता,

यूँ कटता नहीं,

ज़िन्दगी का रस्ता,


आती हैं अर्चनें बहोत,

यूँ पड़ता नहीं मंज़िल से वास्ता,


यूँ कटता नहीं ज़िन्दगी का रस्ता,


है ज़िन्दगी वो अनंत अम्बर,

जिसपे बिखरते हैं हर रंग के बादल,

जो रखता है जीवन से स्नेह,

उसे रखता है ये अपनें पास हरपल,


है दहक इसमें तो है ये छाँव भी,

है खुशी तो है ये ग़म का गाँव भी,


जो जीवन के तरूवर के नीचे,

है सदा रहता,

नूर ए अमन सदा उसपे,

बरसता हीं बरसता रहता,


आसान नहीं,

ज़िन्दगी का रस्ता,

यूँ कटता नहीं,

ज़िन्दगी का रस्ता,


आतीं हैं अर्चनें बहोत,

यूँ पड़ता नहीं मंज़िल से वास्ता 


कवि मनीष 

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