है बड़ा अलबेला रूप तेरा,
तू है सृष्टि का चेहरा,
हे माँ भवानीं,
हर हिर्दय है ये कह रहा,
जीवन की ऐसी डोर है तू,
यहाँ-वहाँ सभी ओर है तू,
तेरे चरणों से जीवन अमृत है बह रहा,
हर हिर्दय है ये कह रहा,
कण-कण में समाई है तू,
मैं तेरा और मेरी परछाईं है तू,
मेरे रग-रग में आशीष तेरा,
बनके रक्त है बह रहा,
हर हिर्दय है ये कह रहा,
है बड़ा अलबेला रूप तेरा,
तू है सृष्टि का चेहरा,
हे माँ भवानीं,
हर हिर्दय है ये कह रहा,
हर हिर्दय है ये कह रहा
कवि मनीष
****************************************
No comments:
Post a Comment