Thursday, 10 September 2020

 ताक़त के नशे में जब चूर है होती सत्ता,

उसे अपनें अहंकार के आगे कुछ नहीं दिखता,

जो किया है कुकृत्य तूनें,

तुझको कभी करेगा नहीं क्षमा विधाता


कवि मनीष 

****************************************


No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...