Saturday, 12 September 2020

 कहनें को कुछ न कुछ हर लोग कहतें हैं,

सहनें को कुछ न कुछ हर लोग सहतें हैं,

पर कमजोरी उनको छूती नहीं,

जो दिल से जय माता की कहतें हैं 


कवि मनीष 

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