मुस्कुराना परमेश्वर का वरदान है,
ये जीवन का प्रेम और सम्मान है,
हर हाल में मुस्कुराता है जो,
उसी पे परमात्मा होता मेहरबान है
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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