गुरू बिना न मिले ज्ञान,
गुरू बिना न मिले सम्मान,
गुरू हीं है होता सच्चा मार्गदर्शक,
गुरू बिना न जागे स्वाभिमान
गुरू पूर्णिमा की ढ़ेरों शुभकामनाएँ
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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