Saturday, 4 July 2020

आती बहार तो खिल जातें हैं फूल,
आता है पतझड़ तो झड़ जातें हैं फूल,
एक रंगीन मौसम का आता है मेला,
जब माता के चरणों की उड़ती है धूल

कवि मनीष 

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