जीवन की डगर कभी आसान नहीं होती,
ज़िन्दगी मौत से कभी डरा नहीं करती,
जब इन्सान होता है सदा साथ अपनें,
जीवन उसका हाथ कभी बेवजह नहीं छोड़ती
कवि मनीष
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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