जीवन के रंगों में जो सबसे है ज़रूरी,
है इस रंग के बग़ैर हर खुशी अधूरी,
ये रंग है माता लक्ष्मीं का,
हे माता करना हम सबकी मनोकामना तुम पूरी
कवि मनीष
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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