प्यार और नफ़रत साथ-साथ हैं चलते,
इन दोनों में से केवल एक किसी न मिलते,
जब जीवन है तो माता का लगाओ जयकारा,
क्योंकि उसके साथ से हीं सारे कष्ट हैं जाते
कवि मनीष
****************************************
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
No comments:
Post a Comment