Sunday, 21 June 2020

जीवन के बाग़ का पिता है होता माली,
हर रंग निकलतें हैं जिससे है होता वो,वो पिचकारी,
है पिता वो चमकता सूरज,
जिससे है पलती ज़िन्दगी की फुलवारी

कवि मनीष 
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