बहारे आनें पर खिल जाती है हर कली,
सूरज के उगनें पर चमक उठती है हर गली,
है आती जो पूनम चमक उठती है रात,
और शिव की भक्ति करनें पर टल जाती है हर विपदा की घड़ी
#कविमनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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