प्रेम और शांति का है बसेरा,
जहाँ है होता माता का सवेरा,
अंधकार में प्रकाश है जो देती,
है माता तेरा नूर कुछ ऐसा,
जब कुछ सूझता नहीं,
तब सूझती है तू,
जीवन के सागर में मिली,
एक अद्भुत मिठास है तू,
कर दे ख़ारे को भी मधुर,
ऐसा प्रेम है तेरा,
प्रेम और शांति का है बसेरा,
जहाँ है होता माता का सवेरा,
प्रेम और शांति का है बसेरा,
जहाँ है होता माता का सवेरा,
अंधकार में प्रकाश है जो देती,
है माता तेरा नूर कुछ ऐसा
कवि मनीष
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