माँ लक्ष्मीं वंदना
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अपनीं कृपा बरसाकर,
धन्य-धान्य सबको देकर,
निर्धनता तुम भगाते रहना,
हे माता लक्ष्मीं हमारे घर तुम विराजे रहना,
निर्धनता है वो कलंक,
जिसे छुड़ाना है बड़ा मुश्किल,
किसी के ऊपर ये कलंक तुम न लगाना,
हे माता लक्ष्मीं हमारे घर तुम विराजे रहना,
जब आता है वसंत हर कली है खिल जाती,
तुम हमारे अरमानों को ऐसे हीं खिलाते रहना,
सदा अपना हाथ सर पे हमारे रखे रहना,
हे माता लक्ष्मीं हमारे घर तुम विराजे रहना,
अपनीं कृपा बरसाकर,
धन-धान्य सबको देकर,
निर्धनता तुम भगाते रहना,
हे माता लक्ष्मीं हमारे घर तुम विराजे रहना
कवि मनीष
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