हमारे देश में ऐसे पुलिस वाले भी होतें हैं,
भर्ती होनें से पहले तोंद अंदर,
फिर बाहर होतें हैं,
हमारे देश में ऐसे पुलिस वाले भी होतें हैं,
चोर जब भरतें हैं फर्राटे,
तब ये अपनीं पतलून संभालतें हैं,
अपराधी होतें हैं 50कि.मी. प्रति घंटे पर,
और ये 10 कि.मी. प्रति घंटे पर होतें हैं,
हमारे देश में ऐसे पुलिस वाले भी होतें हैं,
इनकी शारीरिक बनावट को देखकर
है ऐसा लगता,
जैसे इन्होंनें भीतर अपनें भण्डारा लगाके है रखा,
सोना तो जैसे है इनका जन्मसिद्ध अधिकार,
ये तो नींद के समन्दर में होतें हैं,
हमारे देश में ऐसे पुलिस वाले भी होतें हैं,
हमारे देश में ऐसे पुलिस वाले भी होतें हैं,
भर्ती होनें से पहले तोंद अंदर,
फिर बाहर होतें हैं,
हमारे देश में ऐसे पुलिस वाले भी होतें हैं
कवि मनीष
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