प्रेम की जो बंसी बजाए,
राधा दौड़ी चली आए,
जब कृष्ण की मुरली,
राग वसंत बजाए,
राधा दौड़ी चली आए,
हर राह में फूलों का मेला लगता नहीं,
हर रात में चाँद चमकता नहीं,
किसी-किसी के दिल में हीं है प्रेम बसता,
हर वाणी से प्रेम बरसता नहीं,
जब मुरली कृष्ण की प्रेम पुकार लगाए,
राधा दौड़ी चली आए,
जब नीला अम्बर गुलाबी हो जाए,
राधा दौड़ी चली आए,
प्रेम की जो बंसी बजाए,
राधा दौड़ी चली आए,
जब कृष्ण की मुरली,
राग वसंत बजाए,
राधा दौड़ी चली आए
कवि मनीष
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