है हो रहा उजाला,
है जा रहा अंधेरा,
जीवन है बसा रहा,
बहारों में बसेरा,
है सूरज चमक रहा,
चाँदनीं चटक रही,
ग़ुलों के सुगन्ध से,
जीवन बाग है महक रहा,
है हो रहा उजाला,
है जा रहा अंधेरा,
जीवन है बसा रहा,
बहारों में बसेरा
कवि मनीष
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