कोई नहीं देता सहारा,
सहारा ख़ुद है बनना पड़ता,
है शूलों से भरा अगर रास्ता,
तो स्वयं है चलना पड़ता,
है नभ में तारे अनेक,
पर कोई किसी को रोशन नहीं करता,
अपनीं हस्ती को स्वयं हीं बनाना है पड़ता,
स्वयं रोशन स्वयं हीं है करना पड़ता,
कोई नहीं देता सहारा,
सहारा ख़ुद है बनना पड़ता,
है शूलों से भरा अगर रास्ता,
तो स्वयं है चलना पड़ता
कवि मनीष
No comments:
Post a Comment