है जीवन तो,
एक चलती कश्ती के समान,
कभी आँधी,कभी तूफां,
झेलती एक कश्ती के समान,
है जीवन तो,
एक चलती कश्ती के समान,
कभी मज़े में तो कभी सज़े में,
चलती एक कश्ती के समान,
है जीवन तो,
एक चलती कश्ती के समान,
कभी किनारे से मिलती,
तो कभी मझधार में फँसती,
एक कश्ती के समान,
है जीवन तो,
नीर पे मचलती,
कश्ती के समान,
है जीवन तो,
एक चलती कश्ती के समान,
कभी आँधी,कभी तूफां झेलती,
एक कश्ती के समान,
है जीवन तो,
एक चलती कश्ती के समान
कवि मनीष
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