Tuesday, 3 September 2019

मैं चलता हूँ वहाँ,
जहाँ है जीवन की डगर,
मैं रहता हूँ वहाँ,
जो है जीवन का घर,

जब होता है आकाश नीला,
तब प्रकृति में कोई क्लेश नहीं रहता,
होता है सबकुछ स्वच्छ,
रहता नहीं अगर-मगर,

मैं चलता हूँ वहाँ,
जहाँ है जीवन की डगर,
मैं रहता हूँ वहाँ,
जो है जीवन का घर 
कवि मनीष 

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