Sunday, 22 September 2019

2222,222,222

है वो बातें मेरे भीतर जिंदा,
है वो साँसें मेरे भीतर जिंदा,
जो सब ग़म की रातों को दिन कर दें,
है वो साँसें मेरे भीतर जिंदा 
कवि मनीष 

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