Friday, 20 September 2019


2222,222,222

हम तो डरते थें मरनें से हर दिन,
हम तो भागते थें जीनें से हर दिन,
पर अब हर खुशबू प्यारी लगती है,
अब तो बचते हैं मरनें से हर दिन 

रूबाई 
कवि मनीष 

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