Sunday, 1 September 2019

ज़िन्दगी के हैं रंग कई..

ज़िन्दगी के हैं रंग कई,
कभी रंगीन, कभी बेरंग,
जैसे मौसम के हैं रंग कई,
ज़िन्दगी के हैं रंग कई,

जीवन का तो है बस काम यही,
कभी ग़म तो कभी देता है खुशी के पल कई,
जो स्वीकारता है जीवन के सारे रूप,
उसी के जीनें का है ढंग सही,

ज़िन्दगी के हैं रंग कई,
कभी रंगीन, कभी बेरंग,
जैसे मौसम के हैं रंग कई,
ज़िन्दगी के हैं रंग कई 
कवि मनीष 

No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...