ज़िन्दगी के हैं रंग कई,
कभी रंगीन, कभी बेरंग,
जैसे मौसम के हैं रंग कई,
ज़िन्दगी के हैं रंग कई,
जीवन का तो है बस काम यही,
कभी ग़म तो कभी देता है खुशी के पल कई,
जो स्वीकारता है जीवन के सारे रूप,
उसी के जीनें का है ढंग सही,
ज़िन्दगी के हैं रंग कई,
कभी रंगीन, कभी बेरंग,
जैसे मौसम के हैं रंग कई,
ज़िन्दगी के हैं रंग कई
कवि मनीष
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