Friday, 9 August 2019

जीवन के वे पल मुझे बड़े प्यारे थें,
जब साथ मेरे ममता के किनारे थें,
दिन का हर पहर आशाओं से था भरा हुआ,
हम दोनों एक दूसरे के जीनें के सहारे थें 
कवि मनीष 

No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...