Sunday, 7 July 2019

करती है जो सिंह की सवारी

करती है जो सिंह की सवारी,
वो माँ है मेरी ज्योता वाली,
करती है जो सिंह की सवारी,
वो माँ है मेरी ज्योता वाली,

अष्ट भुजा में शक्ति सारी,
जिससे डरते सारे दुराचारी,
जब गुस्सा तेरा चढ़ के बोले,
सारे दुष्टों की बुद्धि डोले,

जैसे गगन में तारे मईया,
वैसे देती तू आशीष मईया,
आँखों में तेरी ममता के दीपक,
जो जलते रहते हरपल,

तेरी माया सबसे निराली,
तू है मेरी ज्योता वाली,
करती है जो सिंह की सवारी,
वो माँ है मेरी ज्योता वाली,

करती है जो सिंह की सवारी,
वो माँ है मेरी ज्योता वाली,
करती है जो सिंह की सवारी,
वो माँ है मेरी ज्योता वाली 

कवि मनीष 
(मनीष कुमार)









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