शान से लहराए तिरंगा हमारा,
अभिमान से लहराए तिरंगा हमारा,
रौनक़ इसकी सदा रहे बरक़रार,
चाहे जान चली जाए हमारी पर कभी मुरझाए ना तिरंगा हमारा
कवि मनीष
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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