Tuesday, 9 July 2019

फूलों के इक बाग में..

फूलों के इक बाग में,
खिली है इक कली,
जैसे सूरज की पहली किरण,
धरती को छू गई,

रौनक़ है उसकी जैसे,
पूनम का चाँद,
सर पे है जैसे,
ख़ुला आसमान,

जैसे घटा क़ाली,
बरस रही हो झूम के,
जैसे कोई मोर,
नाच रहा हो झूम के,

फूलों के इक बाग में,
खिली है इक कली,
जैसे सूरज की पहली किरण,
धरती को छू गई,

फूलों के इक बाग में,
खिली है इक कली,
जैसे सूरज की पहली किरण,
धरती को छू गई,

फूलों के इक बाग में 
कवि मनीष 








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