जैसे आसमाँ में सूरज न्यारा है,
वैसा हीं देश हमारा है,
धरती को गरिमा देता है,
और हमको जीवन देता है,
यही तो भटकों का किनारा है,
ये देश हीं तो हमारा सहारा है,
जैसे सीप में है मोती,
वैसा हीं ये देश हमारा है,
इसके अनेकों रूप में समाई है दुनिया सारी,
ये तो सिखाता भाईचारा है,
नफ़रत छोड़ मोहब्बत को थामों,
क्योंकि भारत तो मज़हबों का संगम प्यारा है,
जैसे आसमाँ में सूरज न्यारा है,
वैसा हीं देश हमारा है,
धरती को गरिमा देता है,
और हमको जीवन देता है,
ये आशाओं का भण्डारा है,
जो हमेशा चमचमाए ये वो सितारा है,
जैसे आसमाँ में सूरज न्यारा है,
वैसा हीं देश हमारा है,
वैसा हीं देश हमारा है,
वैसा हीं देश हमारा है,
वैसा हीं देश हमारा है,
वैसा हीं देश हमारा है
कवि मनीष
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