वो किसान है जो,
निवाला हमे देता है,
वो किसान है जो,
पसीना सबके लिए बहाता है,
वो किसान है जो,
निवाला हमें देता है,
पर बदले में उसे जो मिलता है,
उससे क्या उसका जीवन चलता है,
कुछ बातें सदा उसके लिए लिखा करो,
इसी से तो उसे जीनें का दम मिलता है,
वो किसान है जो,
निवाला हमें देता है,
वो किसान है जो,
निवाला हमें देता है,
जब भी देखो उसकी दुर्दशा तुम,
आवाज़ अक़्सर तुम उठाया करो,
वो तो तुमको अपना समझते हैं हीं,
तुम भी उनको अपना समझा करो,
क्योंकि वो किसान है जो,
सूरज को भी झुका देता है,
वो किसान है जो,
निवाला हमें देता है,
वो किसान है जो,
पसीना सबके लिए बहाता है,
वो किसान है जो,
निवाला हमें देता है
कवि मनीष
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