जीवन का हर पल क़ुर्बान करते हैं,
हम हैं फ़ौजी लहू अपना सदा नाम वतन के करते हैं,
हमारे लिए सदा सम्मान बचा के रख़ना ज़रा,
क्योंकि वतन की मिट्टी को हम सदा सलाम करते हैं
हम हैं फ़ौजी लहू अपना सदा नाम वतन के करते हैं,
आँसू की हर एक बूंद हम पीते हैं,
ख़ून से अपनीं मिट्टी वतन की सींचते हैं,
आँखों में हरदम ज़िन्दा वतन की तस्वीर रख़ते हैं,
दिखे जो पतझड़ तो उसे बहार करते हैं
हम हैं फ़ौजी लहू अपना सदा नाम वतन के करते हैं,
जीवन का हर पल क़ुर्बान करते हैं,
हम हैं फ़ौजी लहू अपना सदा नाम वतन के करते हैं,
हमारे लिए सदा सम्मान बचा के रख़ना ज़रा,
क्योंकि वतन मिट्टी को हम सदा सलाम करते हैं
हम हैं फ़ौजी लहू अपना सदा नाम वतन के करते हैं
कवि मनीष
No comments:
Post a Comment