Thursday, 25 July 2019

खुशी के साथ..

खुशी के साथ ग़र ग़म ना होता,
प्यार के साथ कभी नफ़रत ना होता,
तब ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं होती,
वसंत के साथ कभी पतझड़ ना होता,

यही है जीवन का उसूल,
अगर बहार है तो ख़ार भी है,
अगर सूखा है तो बरसात भी है,
हर इन्सान को थाम के चलना है इन दोनों का दामन,

क्योंकि दिन है तो रात भी है,
अगर है सूरज तो माहताब भी है,
अगर ऐसा ना होता तो क़ुदरत ना होता,
खुशी के साथ ग़म ना होता,

खुशी के साथ ग़र गम ना होता,
प्यार के साथ कभी नफ़रत ना होता,
तब ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं होती,
वसंत के साथ कभी पतझड़ ना होता
कवि मनीष 



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