ज़िन्दगीं राह पे तू चलता जा,
ऐ इन्सान तू बस बढ़ता जा,
हवा का रूख़ करके अपनीं ओर,
बस जीवन की दिशा में तू बढ़ता जा
परिश्रम से हीं मिलती है सफ़लता,
बस इस बात पे तू अमल करता जा,
नेक़ पथ पे करके ख़ुद को अग्रसर
तू बेफ़िक्र होके बस चलता जा,
ज़िन्दगी की राह पे तू चलता जा,
ऐ इन्सान तू बस बढ़ता जा,
हवा का रूख़ करके अपनीं ओर,
बस जीवन की दिशा में तू बढ़ता जा
कवि मनीष
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