Monday, 15 July 2019

हुस्न तो ऐसा है आपका..

हुस्न तो ऐसा है आपका,
जैसे धरती पे हो चाँद रात का,
है उजाला, सब रौनक़ तुमसे हीं,
तुम तो हो लाली आफ़ताब का,

है आँचल तेरा जैसे,
नीला-नीला गगन फैला है जैसे,
तुम तो हो रंग आकाश का,
तुम तो हो हरियाली बरसात का,

हुस्न तो ऐसा है आपका,
जैसे धरती पे हो चाँद रात का,
है उजाला, सब रौनक़ तुमसे हीं,
तुम तो हो लाली आफ़ताब का,

हुस्न तो ऐसा है आपका,
हुस्न तो ऐसा है आपका,
हुस्न तो ऐसा है आपका 
कवि मनीष 


No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...