हुस्न तो ऐसा है आपका,
जैसे धरती पे हो चाँद रात का,
है उजाला, सब रौनक़ तुमसे हीं,
तुम तो हो लाली आफ़ताब का,
है आँचल तेरा जैसे,
नीला-नीला गगन फैला है जैसे,
तुम तो हो रंग आकाश का,
तुम तो हो हरियाली बरसात का,
हुस्न तो ऐसा है आपका,
जैसे धरती पे हो चाँद रात का,
है उजाला, सब रौनक़ तुमसे हीं,
तुम तो हो लाली आफ़ताब का,
हुस्न तो ऐसा है आपका,
हुस्न तो ऐसा है आपका,
हुस्न तो ऐसा है आपका
कवि मनीष
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