मन को करना हो प्रसन्न तो करिए शिव आराधना,
भगाना हो निराशा तुरंत तो करिए शिव आराधना,
नकरात्मकताओं चाहिए छुटकारा अगर,
तो निरंतर करते रहिए बस शिव आराधना
कवि मनीष
प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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