दे कर लहू सींचा है वतन की मिट्टी को,
दिखाया आज़ादी का स्वप्न सारे क़ौम को,
ख़्वाब था जो वो हुआ पूरा,
सबक सिखला के मैं गया हिंद के दुश्मनों को
श्री चंद्र शेखर आज़ाद पर रचना
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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