Monday, 27 July 2020

असंभव को संभव कर दिखातें हैं,
जो दिल ओ दिमाग से काम लेतें हैं,
मंज़िल ए क़ामयाबी उन्हीं को है मिलती,
जो मंज़िल को साथ लेकर चलतें हैं

कवि मनीष 

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