रात को दे सकता है वो उजाला,
जीवन तो है उसका सबसे निराला,
हैं अनेक नाम उसके,
जिसे कहता है सारा जग शंभु अलबेला
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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