हाथ में तिरंगा लेके खड़े हैं वीर,
है किसमें ताक़त जो रख दे फ़ौलादों को चीड़,
आना है जिसको आए,
भूखे शेर हैं अब भारत के वीर
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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