Friday, 5 June 2020

जीवन है बन जाता उनका गंगा सा निर्मल,
जो जपते हैं गंगाधर का नाम हरपल,
एक लौ है आशा की प्रज्वलित रहती,
जो बसा कर हैं रखते हिर्दय में भोले नाथ को हरपल 

कवि मनीष
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