Saturday, 27 June 2020

चलती हैं टोलियाँ बाबा के दरबार,
छोड़ के अपना घरबार,कारोबार,
निर्मल मन जब लगाते हैं बाबा का जयकारा,
कृपा लुटातें हैं वो फाड़ के छप्पर हर बार

कवि मनीष 
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