Wednesday, 17 June 2020

शहादतों को कोई भूला नहीं सकता,
जो जान चली गई उसे कोई लौटा नहीं सकता,
मेहनत और बलिदान की उसकी कोई कीमत नहीं,
वो फ़ौजी है वो कभी मर नहीं सकता

कवि मनीष 
****************************************

No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...