जयकारों से है गूंज जाता,
जहाँ अम्बर,
वो है माता वैष्णों का दर,
जहाँ है जल जाता दुर्भाग्य भस्म होकर,
वो है माता वैष्णों का दर,
है भानु बिख़ेरता जहाँ अद्भुत प्रताप,
है शशि की मनमोहक छटा छेड़ती जहाँ शीतलता का राग,
है जहाँ वसंत बिख़ेरता प्रसन्नता भर-भर,
वो है माता वैष्णों का दर,
जयकारों से है गूंज जाता,
जहाँ अम्बर,
वो है माता वैष्णों का दर,
जहाँ है जल जाता दुर्भाग्य भस्म होकर,
वो है माता वैष्णों का दर
कवि मनीष
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