Wednesday, 29 April 2020

 है ये सिलसिला किनारों का,
नहीं ये सिलसिला मझधारों का,
हैं करतें जो भक्ति साईं की,
उन्हें है मिलता आंगन बहारों का,

तारों से रहता नहीं आकाश भरा हमेशा,
फूलों से रहता नहीं जीवन भरा हमेशा,
हैं रखतें जो विश्वास ऊपर अपनें,
उन्हीं पर है रहता सदा हाथ साईं का,

है सिलसिला किनारों का,
नहीं ये सिलसिला मझधारों का,
हैं करतें जो भक्ति साईं की,
उन्हें है मिलता आंगन बहारों का 

कवि मनीष 
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